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मंगलवार, 20 मई 2014

वह चिड़िया जो....!

इस ब्लॉग का उद्देश्य बालोपयोगी कविताओ को देना है, ताकि स्कूल जानेवाले हर उम्र के बच्चे अपनी ज़रूरत के मुताबिक इसमें से कविताएं ले सकें। लोगोंकी सहभागिता बढ़ाने के लिए हमने उनकी यादों से कविताएं मांगी। बच्चों से स्कूलों में पढ़ाई जानेवाली कविताएं। आपसे अनुरोध कि अपनी यादों के झरोखों को देखें और जो भी याद हों, वे कविताएं हमें भेजें- मेरे फेसबुक मेसेज बॉक्स में या gonujha.jha@gmail.com पर मेल करें। आपकी दी कविताएं आपके नाम के साथ पोस्ट की जाएंगी।
आज प्रस्तुत है  7वीं कक्षा के छात्र शिवम नारायण की याद से ली गई सुप्रसिद्ध कवि श्री केदारनाथ अग्रवाल की यह कविता।

वह चिड़िया जो....!

वह चिड़िया जो 
चोच मारकर, 
दूध भरे जुण्डी के दाने 
रुचि से, रस से खा लेती है
वह छोटी संतोषी चिड़िया, 
नीले पंखोंवाली मैं हूँ, 
मुझे अन्न से बहुत प्यार है, 

वह चिड़िया जो 
कंठ खोल कर 
बूढ़े वन बाबा की खातिर, 
रस उड़ेल कर गा लेती है 
वह छोटी, मुंहबोली चिड़िया 
नीले पंखोंवाली मैं हूँ, 
मुझे बिजन से बहुत प्यार है,  

वह चिड़िया जो
चोच मारकर 
चढ़ी नदी का दिल टटोलकर 
जल का मोती ले जाती है
वह छोटी, गर्वीली चिड़िया 
नीले पंखोंवाली मैं हूँ, 
मुझे नदी से बहुत प्यार है! ###