chhutpankikavitayein

www.hamarivani.com

सोमवार, 16 जून 2014

रिमझिम-रिमझिम....!

इस ब्लॉग का उद्देश्य बालोपयोगी कविताएं देना है, ताकि स्कूल जानेवाले हर उम्र के बच्चे अपनी ज़रूरत के मुताबिक इसमें से कविताएं ले सकें। लोगों की सहभागिता बढ़ाने के लिए हमने उनकी यादों से कविताएं मांगी। बच्चों से स्कूलों में पढ़ाई जानेवाली कविताएं। आपसे अनुरोध कि अपनी यादों के झरोखों को देखें और जो भी याद हों, वे कविताएं मेरे फेसबुक मेसेज बॉक्स में या gonujha.jha@gmail.com पर भेजें। आपकी दी कविताएं आपके नाम के साथ पोस्ट की जाएंगी।
इस बार की सीरीज में प्रस्तुत की जा रही हैं- मृदुला प्रधान की कविताएं! मृदुला प्रधान हिन्दी की कवि हैं। उनकी कविताओं में आम जीवन बोलता है। ये कविताएं छोटी कक्षाओं के बच्चों से लेकर 10-12वी कक्षा के बच्चे भी पढ़ सकते हैं। आज पढ़िये इनकी कविता  "रिमझिम-रिमझिम" 

रिमझिम-रिमझिम पड़ी सुनाई
देखो मम्मी, बारिश आई।
जूते लाओ, छाता लाओ,
आओ छत पर खेलें,
छप-छप पानी पर कूदें,
और खाएं आलू फ्राई।
रिमझिम-रिमझिम....
देखो बाबा आए हैं क्या?
गरम समोसा लाए हैं क्या?
चाय बना दो तुम जल्दी,
हमको पेप्सी देना भाई,
रिमझिम-रिमझिम....
चलो घूमने भुट्टा खाएं,
नाना-नानी से मिल आएँ,
नानी की अगड़म-बगड़म
नाना की गोदी चढ़ जाएँ।
टिप-टिप-टिप-टिप पड़ी सुनाई

मम्मी फिर से बारिश आई। ###