This blog is "Poetry meant for Children" so that children of all age group can pick up their favorite from here. You may also participate. Send poems, written or heard by you on gonujha.jha@gmail.com. poems will be published with your name.
chhutpankikavitayein
गुरुवार, 18 अक्टूबर 2007
कोयल और कव्वा
छुटपन मी मा के गले लगकर, उनकी पीठ पर झूल झूल कर यह कविता गाती थी। छोटी सी, पर मनभावन
कोयल काली होती है कव्वा काला होता है कोयल करती कू -कू कव्वा करता कांव -कांव आओ -आओ कोयल रानी कव्वा भाई जा -जा ------------
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें