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मंगलवार, 18 मार्च 2008

ओक्का-बोक्का

ओक्का-बोक्का एक खेल है। बच्चे एक गोल घेरा बनाकर अपनी दोनों हथेलियाँ पाँचों उँगलियों के सहारे गोल करके रखते हुए बैठ जाते हैं। ग्रुप का लीडर सभी के पंजे पर बारी बारी से उंगली टिकाते हुए ओक्का-बोक्का गाता है। बीच में सवाल- जवाब होते हैं। अन्तिम लाइन ख़त्म होने पर वह अपनी उंगली से उठी हुई हथेली को पिचका देता है। सभी बच्चों के साथ यह प्रक्रिया समाप्त होने पर वह सभी की हथेलियाँ एक के ऊपर एक कर के जमाता है और फ़िर कहता है-
ताई ताई पुरिया
घी में चापुरिया
सुइया लेबे की डोरा?
सुई कहने पर चुटकी में उसकी हथेली उठा कर माथे पर और डोरा कहने पर पेट पर रखता है। सभी बच्चे इस प्रक्रिया से गुजरने के बाद निदेशानुसार नहाने जाते हें। लौट कर आने के बाद सर पर की मुट्ठी खोली जाती है। पूछा जाता है कि इसमें क्या है? "पूरी मिठाई" लीडर काल्पनिक पूरी मिठाई सभी को बांटता है फ़िर अपने लिए पूछता है-'मैं भी खाऊँ?' बच्चे के इनकार करने पर वह गुस्सा दिखाते हुए उसके मुंह पर उसकी हथेली ठोक देता है। बच्चा पेट वाला हाथ पीठ के पीछे छुपा कर रखता है। लीडर उसे निकालता है और पूछता है। वह जवाब देता है-"लाल लाल बौअया ।' लीडर काल्पनिक बच्चा सभी को खेलने को देता है फ़िर अपने लिए पूछता है-'मैं भी खिलाऊँ?' बच्चे के इन्कार कराने पर वह गुस्सा दिखाते हुए उसके मुंह पर उसकी हथेली ठोक देता है। पूरी प्रक्रिया बेहद मजेदार होती है। आये, आप भी खेलिए, बच्चे बनिए-

ओक्का-बोक्का
तीन तरोक्का
लौउअया लाठी
चंदन -काठी
चंदन के नाम की?
- रघुआ।
खैले कथी?
-दूध- भात
सुतले कहाँ?
- बन में।
ओढले कथी?
- पुरैन के पत्ता
धोंधिया (नाभि) पिचक।

2 टिप्‍पणियां:

अमिताभ मीत ने कहा…

ये खेल मैं आज भी अपनी बेटी के साथ खेलता हूँ.

Unknown ने कहा…

बचपन की याद ताजा हो गई। सैकडों बार यह खेल खेल चुका हूं।