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गुरुवार, 29 मई 2008

ABC

बचपन कि एक कविता यह भी-

एबीसी
कहं गई थी?
कुत्ते कि झ्पोअदी में सो गई थी
कुत्ते ने काट लिया
रो रही थी
पापा ने पैसे दिए
हंस ताही थी
मामी ने तौफी दी,
खा रही थी,
bhaiyaa ने जीभ दिखाई
चिढ रही थी
दीदी ने दुलार किया
मस्त हो रही थी।

4 टिप्‍पणियां:

डॉ .अनुराग ने कहा…

ye to mere chutku ki kavita hai...aap par chori ka ilzaam lag sakta hai......

Udan Tashtari ने कहा…

:) बढ़िया.

बालकिशन ने कहा…

मुझे भी याद आ गई.
सच वो भी क्या दिन थे!

Rajesh Roshan ने कहा…

कमाल है. ये मेरे पास पड़ा था और मैं इस ब्लॉग से इतना अनजाना था. आज ही सब पढ़ जाऊंगा