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बुधवार, 4 जून 2008

मेरी गुडिया पडी बीमार

डॉक्टर पर एक और कविता- गीत । बचपन में हमारे स्कूल में होनेवाले साप्ताहिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों में यह गीत एक अंतराल पर अनिवार्य रूप से आ जाता था। आज अपने थिएटर वर्क्शौप में जब बच्चे इसे प्रस्तुत करते हैं तो dekhanevaale मुस्काए बिना नहीं रह पाते। आप भी इसका आनंद लें।)



डॉक्टर देखो bhalii प्रकार
मेरी गुडिया पडी बीमार
आया, बरसा, छम-छम पानी
उसमें भीगी हदिया रानी
गीली कपडे दिए उतार
फ़िर भी गुडिया पडी बीमार

ओहो, इसको तेज बुखार
सौ से ऊपर डिग्री चार
दवा की है ये चार खुराक
सुबह-दोपहर-शाम और रात
फीस लगेगी हर इक बार
आज नगद और कल हो उधार
फीस?
जबतक गुडिया रहे बीमार
tab तक पैसा रहे उधार।

3 टिप्‍पणियां:

Rajesh Roshan ने कहा…

मैं जब इसे पढता हू तो इसे पढने का जो typical style होता है वैसे ही पढता हू. सुर के साथ. हमेशा की तरह मजेदार

रंजू भाटिया ने कहा…

गुडिया रानी ठीक हो जाओ सुंदर कविता है यह :)

Udan Tashtari ने कहा…

:) बढ़िया कविता गुड़िया रानी की.