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गुरुवार, 19 जून 2014

नीम का एक पेड़

इस ब्लॉग का उद्देश्य बालोपयोगी कविताएं देना है, ताकि स्कूल जानेवाले हर उम्र के बच्चे अपनी ज़रूरत के मुताबिक इसमें से कविताएं ले सकें। लोगों की सहभागिता बढ़ाने के लिए हमने उनकी यादों से कविताएं मांगी। बच्चों से स्कूलों में पढ़ाई जानेवाली कविताएं। आपसे अनुरोध कि अपनी यादों के झरोखों को देखें और जो भी याद हों, वे कविताएं मेरे फेसबुक मेसेज बॉक्स में या gonujha.jha@gmail.com पर भेजें। आपकी दी कविताएं आपके नाम के साथ पोस्ट की जाएंगी।
इस बार की सीरीज में प्रस्तुत की जा रही हैं- मृदुला प्रधान की कविताएं! मृदुला प्रधान हिन्दी की कवि हैं। उनकी कविताओं में आम जीवन बोलता है। ये कविताएं छोटी कक्षाओं के बच्चों से लेकर 10-12वी कक्षा के बच्चे भी पढ़ सकते हैं। आज पढ़िये इनकी कविता  "नीम का एक पेड़"

नीम का एक पेड़
बाहर के ओसारे से लगे तो
गर्मियों के दिन में,
उसकी छांव में
बैठा करेंगे
कड़ी होगी धूप
जाड़ों में तो सर पर,
नीम की डालों से हम
पर्दा करेंगे।
पतझड़ों में सूखकर
पीले हुए पत्ते
ओसारे-लॉन पर जब
आ बिछेंगे
सरसराहट-सी उठेगी
हवा सरकाएगी जब-तब
मर्मरी आवाज
आएगी, जो पत्तों पर चलेंगे,
हर वक़्त कलरव
कोटरों से पक्षियों का
किसलयों के रंग पर
कविता करेंगे
नीम का एक पेड़
बाहर के पसारे से लगे तो
हम सुबह से शाम तक
मौसम की रखवाली करेंगे। ###




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