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शुक्रवार, 25 जुलाई 2014

वह ममता!

इस ब्लॉग का उद्देश्य बालोपयोगी कविताएं देना है, ताकि स्कूल जानेवाले हर उम्र के बच्चे अपनी ज़रूरत के मुताबिक इसमें से कविताएं ले सकें। लोगों की सहभागिता बढ़ाने के लिए हमने उनकी यादों से कविताएं मांगी। बच्चों से स्कूलों में पढ़ाई जानेवाली कविताएं। आपसे अनुरोध कि अपनी यादों के झरोखों को देखें और जो भी याद हों, वे कविताएं मेरे फेसबुक मेसेज बॉक्स में या gonujha.jha@gmail.com पर भेजें। आपकी दी कविताएं आपके नाम के साथ पोस्ट की जाएंगी।
इस बार की सीरीज में प्रस्तुत की जा रही हैं- मृदुला प्रधान की कविताएं! मृदुला प्रधान हिन्दी की कवि हैं। उनकी कविताओं में आम जीवन बोलता है। ये कविताएं छोटी कक्षाओं के बच्चों से लेकर 10-12वी कक्षा के बच्चे भी पढ़ सकते हैं। आज की कविता, बड़ी क्लास के बच्चों के लिए-  वह ममता!

वह ममता
कितनी प्यारी थी
वह आँचल
कितना सुंदर था
जिसके
कोने की गिरहों में थी
मेरे उंगली
बंधी हुई।
बित्ते –भर की खुशियाँ थीं,
उंगली भर की आकांक्षा थी
उस आँचल की
उन गिरहों में
बस अपनी
सारी दुनिया थी।
छोटा सा था शहर
बड़ा सा
घर था
जहां फूल खिला कराते थे
शायद ....
धूल नहीं उड़ती थी।
नर्म धूप से धुला आँगन 
जाड़ों में क्या मुस्काता था!
कड़ी धूप से छुप-छुप
गर्मी में
छाया दे जाता था
उन छज्जों पर
क्या सावन था
उस आँगन में क्या आनंद था
बाहर में गाय रंभाती थी
मैं शाम ढले सो जाती थी
पेड़ गली में जामुन का
छत पर जामुन चूता था
फूल हजारों गेंदे के
घर में खुशबू चलता था
जिस घर में अपना बचपन था,
जिस घर में
होता कलरव था
बंद वहाँ का दरवाजा
जब-तब विचलित कर जाता है
स्नेह पिता का
आँचल माँ का
सरल प्यार
भैया भाभी का
अब भी वहाँ

रहा करता है। ####

11 टिप्‍पणियां:

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

मर्मस्पर्शी ...प्यारी कविता है

mridula pradhan ने कहा…

धन्यवाद, विभा जी ,कविता पसंद करने के लिये …….

Asha Lata Saxena ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना |

Unknown ने कहा…

बहुत ही प्यारी सी भावनाओ से लबरेज कविता। वो बचपन कितना प्यारा था

nayee dunia ने कहा…

bachpan kitna yad aata hai ....naa bhulne wali yaden

Unknown ने कहा…

बहुत बढ़िया

Pratik Maheshwari ने कहा…

सरल मन के सरल विचार.. सुन्दर रचना बच्चों के लिए..

दिगम्बर नासवा ने कहा…

भावपूर्ण ... मन को छूती रचना ...

abhi ने कहा…

बचपन समाया है इस कविता में...खूबसूरत !! :)

Vibha Rani ने कहा…

दोस्तो! बहुत दिन बाद अपने ही ब्लॉग पर आ पाई हूँ। आकार आप सबके इतने प्यारे और आत्मीय विचार और भाव देखे। मन गड गड हो गया। सचमुच, बचपन हर गम से बेगाना होता है। आइये, अपना बचपन हम औरों के साथ भी बांटें। अपनी यादों से एकाध कविता लेकर आइये और हमें दीजिये। फॉर्मेट आप देख ही रहे हैं। कवि या कविता उपलब्ध करानेवालेओन के नाम के साथ ही कवितायें पोस्ट की जाती हैं। एक अपना बचपन, लाखों का जतन।

कविता रावत ने कहा…

बहुत सुन्दर बाल रचना