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बुधवार, 13 अगस्त 2014

नीम की डाली!

इस ब्लॉग का उद्देश्य बालोपयोगी कविताएं देना है, ताकि स्कूल जानेवाले हर उम्र के बच्चे अपनी ज़रूरत के मुताबिक इसमें से कविताएं ले सकें। लोगों की सहभागिता बढ़ाने के लिए हमने उनकी यादों से कविताएं मांगी। बच्चों से स्कूलों में पढ़ाई जानेवाली कविताएं। आपसे अनुरोध कि अपनी यादों के झरोखों को देखें और जो भी याद हों, वे कविताएं मेरे फेसबुक मेसेज बॉक्स में या gonujha.jha@gmail.com पर भेजें। आपकी दी कविताएं आपके नाम के साथ पोस्ट की जाएंगी।
इस बार की सीरीज में प्रस्तुत की जा रही हैं- मृदुला प्रधान की कविताएं! मृदुला प्रधान हिन्दी की कवि हैं। उनकी कविताओं में आम जीवन बोलता है। ये कविताएं छोटी कक्षाओं के बच्चों से लेकर 10-12वी कक्षा के बच्चे भी पढ़ सकते हैं। आज की कविता- नीम की डाली! 

नीम की डाली

नीम की डाली पे बैठी एक चिड़िया
पूछती है-
है कहाँ दो लड़कियां?
जो हाथों को पकड़े हुए
हर वक़्त रहती थी यहाँ
बैठकर
करती थीं बातें
और हँसती थी यहाँ।
साथ रहती थीं तुम्हारे
थीं तुम्हें हर वक़्त घेरे
ज़ोर से तबला बजाकर
रोज गाती थीं यहाँ
चार कुरसी की जगह
अब दो ही कुरसी
क्यों यहाँ?
है कहाँ दो लड़कियां?
जो हाथों को पकड़े हुए
हर वक़्त रहती थी यहाँ
रात और दिन
उड़ रहे थे-
उड़ रहा था वक़्त
रहता था मधुर
कल्लोल छाया,
खिलखिलाती लड़कियों ने
साथ मिल घर को सजाया।
साथ जाती थीं तुम्हारे
साथ आती थीं यहाँ
है कहाँ दो लड़कियां?
जो हाथों को पकड़े हुए

हर वक़्त रहती थी यहाँ। ####

2 टिप्‍पणियां:

IFA ने कहा…

cute is the word , good work for more such nice lines visit Kavitayen

अजय कुमार झा ने कहा…

हिंदी ब्लॉग जगत को ,आपके ब्लॉग को और आपके पाठकों को आपकी नई पोस्ट की प्रतीक्षा है | आइये न लौट के फिर से कभी ,जब मन करे जब समय मिलते जितना मन करे जितना ही समय मिले | आपके पुराने साथी और नए नए दोस्त भी बड़े मन से बड़ी आस से इंतज़ार कर रहे हैं |

माना की फेसबुक ,व्हाट्सप की दुनिया बहुत तेज़ और बहुत बड़ी हो गयी है तो क्या घर के एक कमरे में जाना बंद तो नहीं कर देंगे न |

मुझे पता है आपने हमने बहुत बार ये कोशिस की है बार बार की है , तो जब बाक़ी सब कुछ नहीं छोड़ सकते तो फिर अपने इस अंतर्जालीय डायरी के पन्ने इतने सालों तक न पलटें ,ऐसा होता है क्या ,ऐसा होना चाहिए क्या |

पोस्ट लिख नहीं सकते तो पढ़िए न ,लम्बी न सही एक फोटो ही सही फोटो न सही एक टिप्पणी ही सही | अपने लिए ,अंतरजाल पर हिंदी के लिए ,हमारे लिए ब्लॉगिंग के लिए ,लौटिए लौटिए कृपया करके लौट आइये

यही आग्रह मैं सबसे कर रहा हूँ उनसे भी जो पांच छह साल और उससे भी अधिक से पोस्टें नहीं लिख रहे हैं कारण का पता नहीं मगर मैं आवाज़ देता रहूंगा और आपसे भी यही आग्रह करूंगा कि आप भी मेरे साथ उनके साथ हो लीजिये |