इस बार एक कविता पाकिस्तान से। इसे महनाज़ रहमान ने भेजा है। महनाज़ एक पत्रकार हैं, लेखक हैं, बहुत ही संवेदनशील इनसान हैं। कई एन जी ओ के लिए काम करती हैं। २३ साल से हमारी उनकी दोस्ती है। हमारी गुजारिश पर उन्होंने ये कविता भेजी है। आप सबसे भी अनुरोध है की अपनी यादों के पिटारे से एकाध कविता हमें भेजें। gonujha.jha@gmail.com पर।
पिया ने मेकअप कर डाला है,
बन ठन कर बाहेर आये हैं
सारी महफिल पर छाई है
अब किस बात की देर है मामा
चलें, चलकर केक तो काटें,
उछलें, कूदें, नाचे, गाएं
आहा, आहा, आहा,
आज पिया की सालगिरह है
सालगिरह में बडा मज़ा है.