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सोमवार, 1 नवंबर 2010

सारी दुनिया गोल गोल

ये कविताएं हमें प्रशांत प्रियदर्शी ने हमें भेजी है. प्रशांत चेन्नै में रहते हैं, आईटी क्षेत्र में कार्यरत हैं, चेहरे की किताब (FB) पर बहुत सक्रिय हैं. उनकी भांजी ने ये कविताएं उन्हें सुनाई थी, जिसे मेरे आग्रह पर उन्होंने हमें भेजा है. आप भी अपनी यादों और अपने आसपास पर नज़र डालें और बच्चों की कविताएं हमें भेज डालें gonujha.jha@gmail.com पर.

नीचे की धरती गोल गोल


ऊपर का चंदा गोल गोल

मम्मी की रोटी गोल गोल

पापा का पैसा गोल गोल

हम भी गोल, तुम भी गोल

सारी दुनिया गोल गोल

- दीदी की बिटिया अप्पू के मुंह से



एक दो,

कभी ना रो.

तीन चार,

रखना प्यार.

पांच छः,

मिलकर रह.

सात आठ,

पढ़ लो पाठ.

नौ दस,

जोर से हँस.

- दीदी की बिटिया अदिति के मुंह से


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