डॉक्टर पर २ कवितायेँ। १ स्वप्निल ने भेजी तो एक मुझे भी याद आ गई। यह मेरी बेटी कोशी अपने छुटपन में गा-गा कर मुझे सुनाती थी। आप सब भी देखें-
"नीम्बू की प्लेट में
आम का अचार है
बुड्ढा नाराज़ है
बुढ़िया बीमार है
आ जा मेरे डॉक्टर, तेरा इंतज़ार है।"
- स्वप्निल
"आज सोमवार है
गुडिया को बुखार है
गुडिया गई डॉक्टर के पास
डॉक्टर ने मारी सुई
गुडिया रोई- उई, उई, उई।"