बैठा था एक दाल पर बन्दर
भीग रहा पानी के अन्दर
थर थर, थर थर काँप रहा था
कहाँ छिपू, यह झाँक रहा था
चिडिया बोली, बन्दर मामा,
कहा नही तुमने क्यो माना
बना नही घर, भीग रहे हो,
आक छी, आक छी, छींक रहे हो।
सुन मामा को गुस्सा आया
चिडिया का घर तोड़ गिराया
चू- चू, चू- चू चिडिया रोई
बैठ दाल पर फिर वो सोई
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