सूरज तपता, धरती जलती
गरम हवा जोरों से चलती
तन से बहुत पसीना बहता
हाथ सभी के पंखा रहता
आरे बादल, काले बादल
गरमी दूर भगा रे बादल
रिमझिम बूँदें बरसा बादल
झम-झम पानी बरसा बादल
ले घनघोर घटायें छाईं
टप-टप, टप-टप बूँदें आईं
बिजली लगी चमकने चम्-चम्
लगा बरसने पानी झम-झम
लेकर अपने साथ दिवाली
सरदी आई बड़ी निराली
शाम सवेरे सरदी लगती
पर स्वेटर से है वह भगती।
20 टिप्पणियां:
बहुत अच्छी कविता लिखी है आप ने ...
बहुत ही सुन्दर ओर भावपुर्ण कविता धन्यवाद
बेहद खूबसूरत...
क्या कविता लिखी है आपने
मेरे स्कूल प्रोजेक्ट में काम आ गयी
थैंक्स
Stolen from NCERT primary curriculum in 1980s
Sahi bol rahe hai ye Hamare time me bihar book me hua karti thi
Ye kavita 1988 me bihar sarkar ke 1st class ke kitab me samil thi.
यह कविता हमारे पाठ्यक्रम में थी 1974-75 में पढी थी
बचपन की यादें
Who is the original poet of this poem.
Nyc tq
Yah Kavita adhbhut hai
Right
han hmne bhi 1995-96 me padhi pathykram me
जी हाँ हमने भी 1993-94 स्कूल में पढ़ी थी
यह कविता बिहार राज्य के पाठ्यपुस्तक कक्षा 3(तीन) में, मैंने सन 1969 में पढ़ी थी ।
पुरानी यादें ताज़ा हो गईं ।
नमस्कार..🙏🙏
मैंने तीसरी कक्षा (१९९२) के बाल भारती (भाग-३) में एक कविता पढ़ी थी। NCERT के web portal पर बहुत ढुंढ़ने पर भी वो कविता नहीं मिल रही है।
क्या आप इस कविता को जानते है या प्राप्ति हेतु सहायता करेंगे तो बहुत कृपा होगी।
कविता की शुरुआती पंक्ति इस प्रकार से है....
जेम्सवाट इंजन के दाते,
स्टीफेंसन रेल प्रदाते,
माॅस तार को लेकर आये,
पुल्टन ने जलयान चलाये।
Ye poem maine 2nd class ke hindi ke book me padha tha .Bachpan ki yad aa gyi😭😭😭.Wo v kya din the.
Mene 2003 m padhi thi
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