chhutpankikavitayein

www.hamarivani.com

सोमवार, 25 अगस्त 2008

"मौसम" पर एक कविता

सूरज तपता, धरती जलती
गरम हवा जोरों से चलती
तन से बहुत पसीना बहता
हाथ सभी के पंखा रहता
आरे बादल, काले बादल
गरमी दूर भगा रे बादल
रिमझिम बूँदें बरसा बादल
झम-झम पानी बरसा बादल
ले घनघोर घटायें छाईं
टप-टप, टप-टप बूँदें आईं
बिजली लगी चमकने चम्-चम्
लगा बरसने पानी झम-झम
लेकर अपने साथ दिवाली
सरदी आई बड़ी निराली
शाम सवेरे सरदी लगती
पर स्वेटर से है वह भगती।

20 टिप्‍पणियां:

Anwar Qureshi ने कहा…

बहुत अच्छी कविता लिखी है आप ने ...

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत ही सुन्दर ओर भावपुर्ण कविता धन्यवाद

Udan Tashtari ने कहा…

बेहद खूबसूरत...

Unknown ने कहा…

क्या कविता लिखी है आपने
मेरे स्कूल प्रोजेक्ट में काम आ गयी
थैंक्स

रश्मि शर्मा ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Unknown ने कहा…

Stolen from NCERT primary curriculum in 1980s

Unknown ने कहा…

Sahi bol rahe hai ye Hamare time me bihar book me hua karti thi

Unknown ने कहा…

Ye kavita 1988 me bihar sarkar ke 1st class ke kitab me samil thi.

Unknown ने कहा…

यह कविता हमारे पाठ्यक्रम में थी 1974-75 में पढी थी

Unknown ने कहा…

बचपन की यादें

Unknown ने कहा…

Who is the original poet of this poem.

Karam ने कहा…

Nyc tq

Unknown ने कहा…

Yah Kavita adhbhut hai

Unknown ने कहा…

Right

Unknown ने कहा…

han hmne bhi 1995-96 me padhi pathykram me

Unknown ने कहा…

जी हाँ हमने भी 1993-94 स्कूल में पढ़ी थी

Unknown ने कहा…

यह कविता बिहार राज्य के पाठ्यपुस्तक कक्षा 3(तीन) में, मैंने सन 1969 में पढ़ी थी ।
पुरानी यादें ताज़ा हो गईं ।

Unknown ने कहा…

नमस्कार..🙏🙏

मैंने तीसरी कक्षा (१९९२) के बाल भारती (भाग-३) में एक कविता पढ़ी थी। NCERT के web portal पर बहुत ढुंढ़ने पर भी वो कविता नहीं मिल रही है।
क्या आप इस कविता को जानते है या प्राप्ति हेतु सहायता करेंगे तो बहुत कृपा होगी।

कविता की शुरुआती पंक्ति इस प्रकार से है....

जेम्सवाट इंजन के दाते,
स्टीफेंसन रेल प्रदाते,
माॅस तार को लेकर आये,
पुल्टन ने जलयान चलाये।

Nirmal Kumar Rohit ने कहा…

Ye poem maine 2nd class ke hindi ke book me padha tha .Bachpan ki yad aa gyi😭😭😭.Wo v kya din the.

Unknown ने कहा…

Mene 2003 m padhi thi