सी बी टी की किताब से एक और कविता । आप भी अपनी पिटारी खोलें और कवितायें bhejen gonujha.jha@gmail.com पर ।
लम्बी-चौडी सड़क सुहानी,
भेद न रखती ग्राम-नगर में
साथिन बनाती रोज़ सफर में,
सच्चे मन से सेवा करती,
लम्बी-चौडी सड़क सुहानी।
कहीं-कहीं बल खाती जाती,
कहीं-कहीं सीधा पहुंचाती,
कभी न करती है नादानी,
लम्बी-चौडी सड़क सुहानी।
साभार, रमाकांत दीक्षित
1 टिप्पणी:
कभी न करती है नादानी,
लम्बी-चौडी सड़क सुहानी।
" bdee mnbhavan pyaree see kaveeta"
Regards
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