chhutpankikavitayein

www.hamarivani.com

सोमवार, 17 अगस्त 2009

अंगूर का अनार

कुछ बच्चियों ने मिलकर बनाया एक ब्लाग- http://paripoems।blogspot.com/ यह कविता वहीं से ली गई है। आप भी अपनी पिटारी खोलें और कवितायें भेजें gonujha.jha@gmail.com पर ।

बात है यह बहुत पुरानी

खा रही थी अंगूर एक रानी

बीज उसके गले में फंसता

यह देख कर भाई उसका बहुत हंसता

जितने भी अंगूर वह पाती

बीज निकाल कर ही खाती

बीज वह बगीचे में बोती

अंगूर होंगे खूब, वह सोचती

बीते कई महीने-साल

अंगूर ना उगा

पर उग गया अनार

रविवार, 16 अगस्त 2009

क्योंकि पेड़ है जीवन डोर

कुछ बच्चियों ने मिल कर एक ब्लॉग बनाया उन्हीं में से एक कविता यहाँ है। आप भी पढें और अपनी यादों के पिटारे से कवितायें भेजे इस ब्लॉग पर देने के लिए- पर

पेड़ों के कट जाने के बाद

बचेगी नहीं ये zindagii

पूछते हो क्यों

क्योंकि पेड़ है जीवन डोर

पेड़ कट जाने के बाद

हो जाएंगे हम बर्बाद

पूछते हो क्यों?

क्योंकि बचेगा ना कोई आहार

पेड़ कट जाने के बाद

जल जाएगी ये ज़मीन

पूछते हो क्यों?

क्योंकि छाया न होगी फिर कभी

पेड़ कट जाने के बाद

सूखा पड़ जाएगा हर कहीं

पूछते हो क्यों?

क्योंकि बारिश को बुलानेवाला न

होगा कोई ।

शुक्रवार, 14 अगस्त 2009

रिम-झिम बरसा पानी

कुछ बच्चियों ने मिल कर एक ब्लॉग -उन्हीं में से एक कविता यहाँ है। बारिश पर। आप भी पढें और अपनी यादों के पिटारे से कवितायें भेजे इस ब्लॉग पर देने के लिए
रिम-झिम बरसा पानी
लो भर जाते हैं सागर नाली
नाचते है भालू मोर
बच्चे खूब मचते शोर
आते हैं जब बदल काले काले
होती है बरसात हौले हौले
कड़की बिजली
लो बारिश गिरी
आती है जब बरसात
लाती है हर्याली साथ
जब बारिश को ग़ुस्सा आये
घर पर्वत भी उड़ ले जाये
पर बारिश न होगी जब
जीवन भी न बचेगा तब