chhutpankikavitayein

www.hamarivani.com

शुक्रवार, 14 अगस्त 2009

रिम-झिम बरसा पानी

कुछ बच्चियों ने मिल कर एक ब्लॉग -उन्हीं में से एक कविता यहाँ है। बारिश पर। आप भी पढें और अपनी यादों के पिटारे से कवितायें भेजे इस ब्लॉग पर देने के लिए
रिम-झिम बरसा पानी
लो भर जाते हैं सागर नाली
नाचते है भालू मोर
बच्चे खूब मचते शोर
आते हैं जब बदल काले काले
होती है बरसात हौले हौले
कड़की बिजली
लो बारिश गिरी
आती है जब बरसात
लाती है हर्याली साथ
जब बारिश को ग़ुस्सा आये
घर पर्वत भी उड़ ले जाये
पर बारिश न होगी जब
जीवन भी न बचेगा तब

कोई टिप्पणी नहीं: