रिम-झिम बरसा पानी
लो भर जाते हैं सागर नाली
नाचते है भालू मोर
बच्चे खूब मचते शोर
आते हैं जब बदल काले काले
होती है बरसात हौले हौले
कड़की बिजली
लो बारिश गिरी
आती है जब बरसात
लाती है हर्याली साथ
जब बारिश को ग़ुस्सा आये
घर पर्वत भी उड़ ले जाये
पर बारिश न होगी जब
जीवन भी न बचेगा तब
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें