इस ब्लॉग का उद्देश्य बालोपयोगी कविताओ को देना है, ताकि स्कूल जानेवाले हर उम्र के बच्चे अपनी ज़रूरत के मुताबिक इसमें से कविताएं ले सकें। लोगोंकी सहभागिता बढ़ाने के लिए हमने उनकी यादों से कविताएं मांगी। बच्चों से स्कूलों में पढ़ाई जानेवाली कविताएं। आपसे अनुरोध कि अपनी यादों के झरोखों को देखें और जो भी याद हों, वे कविताएं हमें भेजें- मेरे फेसबुक मेसेज बॉक्स में या gonujha.jha@gmail.com पर मेल करें। आपकी दी कविताएं आपके नाम के साथ पोस्ट की जाएंगी।
आज प्रस्तुत है, प्रेम रंजन अनिमेष की कविता- माँ का जन्मदिन। अपनी रचना प्रक्रिया के बारे मे प्रेम जी कहते हैं,
आज प्रस्तुत है, प्रेम रंजन अनिमेष की कविता- माँ का जन्मदिन। अपनी रचना प्रक्रिया के बारे मे प्रेम जी कहते हैं,
भारतीय ज्ञानपीठ से वर्ष 2004 में प्रकाशित कविता संग्रह 'कोई नया समाचार'को विशेष रूप से चर्चा एवं सराहना प्राप्त हुई और कुछ सुधी साहित्य मर्मज्ञों ने इसे सूर के बाद बचपन को कविता का वैभव बनाने वाला अपनी तरह का अनूठा प्रयास माना । उस संग्रह की सारी कवितायें दरअसल बच्चों के माध्यम से इस जीवन जगत के व्यापक फलक को स्पर्श करती कवितायें हैं। फिर खयाल आया कि बच्चों के बहाने तो इतनी कवितायें रचीं, कुछ ऐसी कवितायें लिखी जायें जो बच्चों के लिए हों। यों भी, बच्चों के लिए अच्छे साहित्य के निर्माण का पुण्यकर्म हर प्रतिबद्ध और गंभीर साहित्यकार का महत् कर्तव्य एवं उत्तरदायित्व होता है। उसी प्रयास का फल हैं ये कवितायें - 'माँ का जन्मदिन' । इन कविताओं के लिए खासतौर पर आठ पंक्तियों के एकविशिष्ट शिल्प के संधान के साथ साथ यह भी कोशिश की है कि ये उतनी ही जीवंत और इन्दधनुषी हों जितना और जैसा स्वयं बचपन...। और अब इंतजार है कि ये शीघ्र ही एक यादगार बाल कविता संग्रह के रूप में सामने आयें !
माँ का जन्मदिन
माँ तेरा क्या जन्म दिवस है
अभी तुम्हारा कौन बरस है
याद तुम्हें तो है इतना कुछ
याद नहीं है क्यों अपना कुछ
मैं तो पहले थी इक चिड़िया
साथ तुम्हारे जन्मी यह माँ
याद मुझे इतना ही बस है
एक हमारा जन्मदिवस है। ###
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