बचपन में इस किसान गीत को हम सब नृत्य के साथ गाते थे। आज भी इसका माधुरी बरकरार है-
आम मजरायल, बूंट गजरायल
चहके ला सरसों के फूल हो, चहके ला सरसों के फूल हो,
हँसी हँसी बोले पिया हरबहवा
चल' धनी खेतवा के ओर हो,
चहके ला सरसों के फूल हो।
कनखी से देखे ला छोटका देबरवा
मारले कनवां पे फूल हो,
चहके ला सरसों के फूल हो।
रोही-रोही बोलेले गोदी बलकवा
दिन भर ना मिलेले दूध हो,
चहके ला सरसों के फूल हो,
2 टिप्पणियां:
achcha laga ise yahan padh kar
बहुत सुन्दर ! ऐसे गीतों को तो संजोकर रख लेना चाहिए, खो न जाएँ कहीं।
घुघूती बासूती
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