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गुरुवार, 10 जुलाई 2008

सुनो राधे रानी

राधा कृष्ण की छेड़छाड़ गीतों में खूब मुखरित हुई है। बचपन में हम यह गीत गाते थे- नृत्य के साथ इसका माधुर्य और भी बढ़ जाता था। राधा का जोर यहाँ बहुत स्पष्ट दीखता है, और संग- सगं कृष्ण का मनुहार भी।
सुनो राधे रानी दे डालो बाँसुरी मोरी
सुनो जी श्याम ना जानूं बाँसुरी तोरी।
कैसे मैं गाऊँ, राधे, कैसे बजाऊँ,
कैसे बुलाऊँ राधे गैयाँ टोली
मुख से बजाओ कान्हा, मुख से तू गाओ,
हथावन बुलाओ कान्हा, गायन टोली।
सुनो राधे रानी दे डालो बाँसुरी मोरी
सुनो जी श्याम ना जानूं बाँसुरी तोरी।

3 टिप्‍पणियां:

मिथिलेश श्रीवास्तव ने कहा…

ओहहो...बचपन की यादें ताजा कर दी आपने...साधुवाद

Advocate Rashmi saurana ने कहा…

bhut sundar. jari rhe.

Udan Tashtari ने कहा…

Krishna ka manuhaar badhiya raha. :)