राधा कृष्ण की छेड़छाड़ गीतों में खूब मुखरित हुई है। बचपन में हम यह गीत गाते थे- नृत्य के साथ इसका माधुर्य और भी बढ़ जाता था। राधा का जोर यहाँ बहुत स्पष्ट दीखता है, और संग- सगं कृष्ण का मनुहार भी।
सुनो राधे रानी दे डालो बाँसुरी मोरी
सुनो जी श्याम ना जानूं बाँसुरी तोरी।
कैसे मैं गाऊँ, राधे, कैसे बजाऊँ,
कैसे बुलाऊँ राधे गैयाँ टोली
मुख से बजाओ कान्हा, मुख से तू गाओ,
हथावन बुलाओ कान्हा, गायन टोली।
सुनो राधे रानी दे डालो बाँसुरी मोरी
सुनो जी श्याम ना जानूं बाँसुरी तोरी।
3 टिप्पणियां:
ओहहो...बचपन की यादें ताजा कर दी आपने...साधुवाद
bhut sundar. jari rhe.
Krishna ka manuhaar badhiya raha. :)
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