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रविवार, 16 नवंबर 2008

सीबीटी की कविता की किताब से कुछ कवितायें उनके रचनाकारों के नाम के साथ, आभार सहित। हमें आपकी बचपन में सुनी कविताओं का इंतज़ार है। अपने बचपन की सुनी कवितायें आप हमें ज़रूर भेजें- gonujha.jha@gmail.com पर।

मूंछें ताने पहुंचे थाने
चूहे जी इक रपट लिखाने
बिल्ली मौसी हवलदार थीं,
एक-दो नहीं, तीन-चार थीं,
पहली ने चूहे को डांटा,'
दूजी ने मारा इक चांटा,
बढीं तीसरी आँखें मींचे,
चौथी दौडीं मुट्ठी भींचे,
काँप उठे चूहे जी थार-थार,
सरपट भागे अपने घर पर,
फिरते हैं अबतक घबराए
लौट के बुद्धू घर को आए।

साभार- प्रकाश पुरोहित

1 टिप्पणी:

seema gupta ने कहा…

काँप उठे चूहे जी थार-थार,
सरपट भागे अपने घर पर,
फिरते हैं अबतक घबराए
लौट के बुद्धू घर को आए।
" ha ha ha ha ha well done"

Regards