This blog is "Poetry meant for Children" so that children of all age group can pick up their favorite from here. You may also participate. Send poems, written or heard by you on gonujha.jha@gmail.com. poems will be published with your name.
svapnil ne bahut din baad ek kavitaa bhejii hai-
एक अजूबा हमने देखा
कुएं में लग गई आग
पानी पानी जर गओ,
मछरी खेलें फाग
नाव में नदिया डूबी जाएएक अजूबा हमने देखा
कुँए में लग गई आगपानी पानी जर गओ,
नांव में नदिया डूबी जाये
-स्वप्निल
नाव में नदिया डूबी जाएएक अजूबा हमने देखा कुँए में लग गई आगपानी पानी जर गओ, " wah, ye ajuba humne bhee pehle baar hee pdha..."Regards
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नाव में नदिया डूबी जाए
एक अजूबा हमने देखा
कुँए में लग गई आग
पानी पानी जर गओ,
" wah, ye ajuba humne bhee pehle baar hee pdha..."
Regards
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