This blog is "Poetry meant for Children" so that children of all age group can pick up their favorite from here. You may also participate. Send poems, written or heard by you on gonujha.jha@gmail.com. poems will be published with your name.
chhutpankikavitayein
रविवार, 1 जून 2008
१,२,१०
स्वप्निल कि भेजी एक और कविता-
"१,२,१० ऊपर से आई बस बस ने मारी सीती ऊपर से आया टीटी टीटी ने काटी पर्ची ऊपर से आया दर्जी दर्जी ने सिली पैंट ऊपर से आया टैंक टंक ने मारा गोला मेरा रंग दे बसंती चोला - स्वप्निल
3 टिप्पणियां:
अपनी भतीजी की याद आ गई. और अपने बचपन के दिन. वो भी क्या दिन थे... बहुत बढ़िया. मैंने आपका यह ब्लॉग देखा ही नही था... बड़ी बेहतरीन चीज लाई हैं
मुझे तो अपने बचपन के दिन याद आ गये।
बहुत अच्छा प्रयास है बालपन की बालमन की कविताई करना । ब्लागर को धन्यवाद
बच्चों के मौलिक प्रयास कितने मनभावन होते हैं, यह रचना वही साबित करती है. स्वपनिल को बधाई.
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