उत्तर प्रदेश के इटावा शहर के छिपती मुहल्ले में ९ अक्टूबर, १९०५ को जन्मे छैलबिहारी दीक्षित 'कंटक' हिन्दी के संभवत: पहले ऐसे कवि थे, जो कविता लिखने के कारण जेल गए। तब अंग्रेजों का दमन चक्र जोरों पर था और इनकी लेखनी में एक आग थी, जिसकी आंच से ब्रिटिश नहीं बच सके। फ़िर तो उनके ऊपर राजद्रोह का आरोप लगाकर इनकी तीन कविताओं को राजद्रोही करार दिया गया और प्रत्येक कविता के लिए अलग-अलग एक-एक वर्ष की सज़ा सुनाई गई। बाद में तो जेल इनके लिए दूसरा घर हो गया। नवनीत पत्रिका के अगस्त, २००८ के अंक में छैलबिहारी दीक्षित पर एक पूरी सामग्री दी हुई है। यहीं पर वह कविता भी, जिसके कारण 'कंटक' जी को पहली बार जेल जाना पडा। आप भी यह कविता देखें। चाहे तो इसे आज के सन्दर्भ में भी देख सकते हैं।
वेदी पर शीश चधायेंगे,
जालिम सरकार मिटायेंगे।
जोशीले गाने गाने दो, आफत पर आफत आने दो,
सर जाता है तो जाने दो, लेकिन मत क़दम हटाने दो,
जीवन की ज्योति जगायेंगे
हम बलिवेदी पर जायेंगे,
जालिम सरकार मिटायेंगे।
बज रहा बिगुल आजादी का, बाना पहिना है खादी का,
है मोह न हमको गाडी का, डर यहाँ किसे बर्बादी का,
जेलों में अलख जगायेंगे,
हम बलिवेदी पर जायेंगे,
जालिम सरकार मिटायेंगे।
मन के सुख-दुःख की लड़ियों का, भय छोड़ चलो फुलाझादियों का,
स्वागत कर लो हथाकादियों का, जीने-मरने की घड़ियों का,
प्राणों की भेंट चधायेंगे,
हम बलिवेदी पर जायेंगे,
जालिम सरकार मिटायेंगे।
सुनकर संघर्षों की बोली, बढ़ चली शहीदों की टोली,
है अंधाधुंध चलती गोली, निर्भय सबने छाती खोली,
भारत स्वाधीन बनायेंगे,
हम बलिवेदी पर जायेंगे,
जालिम सरकार मिटायेंगे।
मुठभेड़ बीच में मत छोडो, ज़ंजीर गुलामी की तोडो,
भारत माँ से नाता जोडो, डर से डर कर मुंह मत मोडो,
गौरव स्वदेश का गायेंगे,
हम बलिवेदी पर जायेंगे,
जालिम सरकार मिटायेंगे।
- साभार, नवनीत
5 टिप्पणियां:
Itani sunder kawita padhane ka dhanyawad.
is janklari ke lie shukriya
बज रहा बिगुल आजादी का, बाना पहिना है खादी का,
है मोह न हमको गाडी का, डर यहाँ किसे बर्बादी का, ....
इतनी अच्छी कविता के लिखे शुक्रिया
बहुत सुन्दर रचना है।बधाई स्वीकारें।
सुंदर कविताएं पढवाने के लिए आभार।
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